اقرأ باسم ربك الذي خلق

अज़ान होने पर सर के बाल को ढँपना


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۞ शेख इब्न उसैमीन से सवाल किया गया,

'जब मुअज्जिन नमाज के लिए अजान देता है और हमें वक्त एक ख्वातीन का बाल धनपा नहीं है जब वो अपने घर में या फिर उसके परिवार के घर में, या फिर पड़ोस के घर में हो, जहां उसे कोई नहीं देख सकता सिवाय महरम के या दूसरी औरत के, क्या ये हराम है? क्या फ़रिश्ते अज़ान होने तक हम पर लानत करते हैं?'

۩ शेख़ इब्न उसैमीन फ़रमाते हैं,

'ये सच नहीं है. एक ख्वातीन, नमाज के अज़ान के दौरन भी अपने बाल बिना धनपे रख सकती है, जब तक किसी नामहरम की नज़र उस पर न पड़े। लेकिन अगर इस्तेमाल नमाज पढ़ना है, फिर उसे सारे जिस्म सिवाए उसके चेहरे को, अलबत्ता बहुत से उलेमा ने इसकी इज्जत भी दी है कि वो अपनी हथेलियों और पाओ को भी बिना धनपे रख सकती है। लेकिन अहतियात के लिए तुम्हें ये भी देना चाहिए, सिवाय उसके चेहरे को, इसको खुला रखने में कोई हर्ज नहीं है। ये हमारा वक़्त है जब कोई ना-महरम उसके आस-पास नहीं है; लेकिन अगर कोई है तो उसे अपने चेहरे के साथ भी जोड़ना चाहिए क्योंकि ये उसके लिए जायज़ नहीं है कि वो अपने चेहरे अपने शौहर या महरम के अलावा किसी के सामने खोले। अल्फ़ाज़ ख़तम।'

मजमू फतावा वा रसाइल इब्न उसैमीन (१२/२०२)।