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बगैर जमा औरत की मानी खारिज होना


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अल्हम्दुलिल्लाह..

जब जमा (संभोग) के बिना औरत की मनी खारिज हो तो उससे ग़ुस्ल करना होगा, क्योंकि रसूल ﷺ ने औरत को पानी देखने की हालत में ग़ुस्ल करने का हुक्म दिया है, जैसा के नीचे दी हुई हदीस में है:

۩ उम्मे सलमा र.अ. बयान करती है के अबू तलहा की बीवी उम्मे सुलेमान र.अ. रसूल ﷺ के पास आयी और अर्ज करने लगी,

'ऐ अल्लाह के रसूल, यकीनन अल्लाह ताला हक बयान करने से नहीं शरमाता, क्या जब औरत को इहतेलाम हो तो वो ग़ुस्ल करेगी?'

रसूल ﷺ ने फरमाया, 'जी हां!, जब वो पानी देखे।'

मुवत्ता इमाम मलिक (१/५१), साहीह अल बुखारी (२८२) और सुनन नसाई (१/१९७)।

इस हदीस में रसूल ﷺ ने औरतों को हुक्म दिया है कि जब वो पानी जो मनी है देखे तो ग़ुस्ल करे।

۩ इमाम बग़ावी र.अ. कहते हैं,

'ग़ुस्ल जनाबत दो उमूर में से एक के साथ वाजिब होता है:

या तो मर्द के शर्मगाह का अगला हिस्सा औरत की शर्मगाह में गायब हो जाए, या फिर मर्द या औरत से चलकने वाला पानी खारिज हो।

अहले इल्म का कहना है कि जब तक ये यकीन नहीं हो के नमी छलकने वाले पानी से है, तब तक ग़ुस्ल वाजिब नहीं होगा।'

शरह अल-सुन्नत, २/९ . 

۩ इब्न क़ुदामा र.ह. कहते है:

'नबी ﷺ ने ग़ुस्ल को पानी से जोड़ते हुए फरमाया है:

'अगर तुम पानी देखो, और अगर पानी बाहर आ गया हो तो ग़ुस्ल करो।'

चुनान्चे इस के बगैर (ग़ुस्ल का) हुक्म साबित नहीं होगा।'

अल-मुगनी, १/२००।

۩ हाफ़िज़ इब्न हजर र.अ. कहते हैं:

'इस में दलील है कि अगर औरत का इंज़ाल हो (तरल पदार्थ छोड़ें) तो उस पर ग़ुसल वाजिब होगा।'

फत अल बारी, १/३८९ . 

۩ इब्न रज्जब का कहना है,

'ये हदीस जाहिर करती है के जब औरत ख्वाब में एहतेहलम देखे, और बेदार हो कर पानी देखे तो उसे गुस्ल करना होगा, जम्हूर उलेमा का मसलक यही है, इस मे कोई इख्तिलाफ नहीं, सिर्फ इमाम नखी इसके मुखालिफ़ है, और ये शाज़ (अजीब) है।'

अल फतह, १/३३८ . 

चुनान्चे नबी ﷺ कि ये हदीस वाज़ेह है, वो ये के औरत का सिर्फ पानी ख़त्म होना चाहे वो थोड़ा हो या ज़्यादा, ग़ुस्ल वाजिब करता है।

इस बिना पर औरत की शर्मगाह से पानी ख़ारिज होना जब वो खारिज होने को महसूस करे चाहे वो थोड़ा हो या ज्यादा, ग़ुस्ल को वाजिब करता है इसके लिए उसे ग़ुस्ल करना होगा, जैसा कि ऊपर की हदीस में बताया गया है।

और इस में वुज़ू करना काफ़ी नहीं है, लेकिन अगर वो ऐसा पानी हो जिसमें ग़ुस्ल की ज़रूरत नहीं है जैसे माज़ी का ख़ारिज होना तो फिर वुज़ू काफ़ी होगा।

व अल्लाहु आलम।