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कौनसे बाल उतारने जायज़ है ? और कौनसे उतारने जायज़ नहीं ?


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बाल उतारने के एैतबार से उलमा ने बालों को 3 किस्मों में तक्सीम किया है:

۞ पहली किस्म

वह बाल जिन के उतारेन और काटने का हुक्म दिया गया है। और वह यह बाल हे जिन्हें फितरती सुन्नत कहा जाता है।
मिसाल के तौर पर ज़ैर-ए-नाफ़, और मूंछों के बाल, और बगलों के बाल, और इसमें हज्ज और उमराह के मौके पर सर के बाल छोटे कराना और सर मुंढ़वाना भी दाखिल होता है।

इसकी दलील अम्मी आयशा रज़िअल्लाहु तआला अन्हां की दर्ज ए ज़ैल हदीस है वह बयान करती है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया, “10 चीज़ें फितरत में से है: मूंछें काटना, दाढ़ी बढ़ाना, मिस्वाक करना, नाक में पानी चढ़ाना, नाखुन काटना, ऊंगलियों के पूरे (joints) धोना, बगलों के बाल उखेड़ना, ज़ैर ए नाफ़ बाल मुंढवाना और पानी से इस्तन्जा करना।”

ज़करीया कहते है, मुसहब ने कहा: “मैं (10) दसवीं चीज़ भुल गया हूं मगर वह कुल्ली करना हो सकता है।” 

(सहीह मुस्लिम हदीस 502)

۞ दुसरी किस्म

वह बाल जिनको उतारेन की हुरमत (मनाही) आती है, इसमें आईब्रों (eyebrow) के बाल उतारने शामिल है, और इस फैल को नम्स का नाम दिया जाता है, और इस तरह दाढ़ी के बाल।

इसकी दलील दर्ज ए ज़ैल हदीस है:

अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़िअल्लाहु तआला अन्हं बयान करते है मैंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को फरमाते हुए सुना: “अल्लाह तआला गुदने और गुदवाने वालियों, और आईब्रों के बाल उखेड़ने वालियों, और खूबसुरती के लिए दांत रगड़ कर बारीक करने वालियों, अल्लाह की पैदा करदा सुरत में तब्दीली करने वालियों पर लाअनत फरमाई है।”

(सहीह बुखारी 5931, सहीह मुस्लिम 2125)

और अब्दुल्लाह बिन उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्हं बयान करते है मैंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को फरमाते हुए सुना: “मुश्रिकों की मुखालफत करों, दाढ़ियों को बढ़ाओं और मूंछों को पस्त करों।”

(बुखारी 5892, मुस्लिम 259)

ईमाम नववी रहमतुल्लाह अलैय कहते है :

“अल-नामिशाः वह औरत है जो चेहरे के बाल उतारे। और अल-मुतानामिशाः वह औरत है जो अपने चेहरे के बाल उतरवाये। और यह फै़ल हराम है, लेकिन अगर औरत को दाढ़ी या मूंछें आ जाएं तो उसे उतारना हराम नहीं, बल्कि हमारे नज़दीक वह मुस्तहब है।”

(शरह अल-नववी ली सहीह मुस्लिम, 14/106)

۞ तीसरी किस्म

वह बाल जिनसे शरीअत ख़ामोश है, इसके मुताल्लीक न तो उतारने का हुक्म है और न ही इन्हें बाकी रखने का वजुब, मसलन पिंडलियों और हाथों के बाल, और रूखसारों (गाल, cheeks) और पेशानी पर उगने वाले बाल।

तो इन बालों के मुताल्लीक उलमा ए कराम का इख्तलाफ है:

कुछ उलमा कहते है कि इन्हें उतारना जायज़ नहीं, क्योंकि इन्हें उतारने में अल्लाह तआला की पैदा कर्दा सुरत में तब्दीली है। जैसे कि अल्लाह ने शैतान की बात को नक्ल करते हुए फरमाया: “और मैं यक़ीनन इन्हें अल्लाह की पैदा कर्दा सुरतों में तब्दीली का हुक्म दुंगा।

(अल निसा, 4: 119)

और कुछ उलमा का कहना है (और यह राय मुझे बेहतर लगती है दीन के उसूल की रोशनी में) कि : यह बाल इनमें शामिल है जिस पर शरीअत ख़ामौश है, और उस का जायज़ वाला हुक्म है और वह इन्हें बाकी रहने या उतारने का जवाज़ है, क्योंकि जिससे किताब व सुन्नत ख़ामौश हो वह मुआफ कर्दा है।

मुस्तक़िल फतावा कमेटी के उलमा ए कराम ने यही क़ौल इख्तयार किया है और इसी तरह शैख इब्ने उसैयमीन ने भी यही क़ौल इख्तयार किया है।

(देखें: Fataawa al-Mar’ah al-Muslimah, 3/879.)

۩ मुस्तक़िल फतवा कमेटी के फतावा al-Lajnah al-Daa’imah में है:

1. औरत के लिए अपनी मूंछें, रानों और पिंडलियों और बाज़ुओं के बाल उतारने में कोई हर्ज नहीं , और यह ममनू ए तानाम्मुस में से नहीं है।”

(Fataawa al-Lajnah al-Daa’imah, 5/194, 195.)

2. मुस्तक़िल फतवा कमेटी से दर्याफ्त किया गया: इस्लाम में आईब्रोंस के दर्मियान बाल नोचने का हुक्म क्या है?

कमेटी का जवाब: इन्हें नोचना जायज़ है, क्योंकि यह आईब्रों में शामिल नहीं है।”

(Fataawa al-Lajnah al-Daa’imah, 5/197.)

3. और कमेटी से यह भी सवाल किया गया, “औरत के लिए अपने जिस्म के बाल उतारने का क्या हुक्म किया है?”

कमेटी का जवाब था:

सर और आईब्रो के बालों के अलावा औरत के लिए बाल उतारने जायज़ है, आईब्रो और सर के बाल बिल्कुल उतारने जायज़ नहीं और न ही आईब्रो के कुछ बाल मुंढ़वाने जायज़ है।

(Fataawa al-Lajnah al-Daa’imah, 5/194.)

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अल्लाह से दुआ है कि हमारे दिल नेकियों के लिए खोल दे और बुराई से महफुज़ रखें। आमीन।