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रिश्तेदारो को सदक़ा देने के अहकाम


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रिस्तेदारों को सदका देने की सिर्फ इजाज़त ही नहीं है बल्कि उनको सदका देने का अजर दुगना है।

۩ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ीअल्लाहु अन्हा की बीवी ज़ैनब र.अ. से रिवायत हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने एक खुतबे में खास तौर पर औरतो को मुखातिब करके फरमाया: "ऐ ख्वातीन! तुमको चाहिए कि राह ए खुदा में सदका किया करो, अगरचे तुमको अपने ज़ेवरत में से देना पड़े। आगे ज़ैनब र.अ. बयान करती हैं मैंने जब हुजूर ﷺ का ये इरशाद सुना तो मैं अपने शोहर अब्दुल्ला बिन मसूद रज़ी अल्लाहु अन्हा के पास आई और मैंने उनसे कहा: रसूल अल्लाह ﷺ हम औरतों को खास तौर पर सदके की ताकीद फरमायी हैं और मैं ये चाहती हूं कि मेरे पास जो कुछ है रह ए खुदा मैं खर्च करने की शहादत करु और तुम भी तंग हाल और खाली हाथ हो, अब तुम रसूल अल्लाह ﷺ की खिदमत मैं हाज़िर होकर दरियाफ्त करो कि अगर मैं तुमको ही दे दू तो क्या मेरा सदका अदा हो जाएगा? अगर मेरा तुमको देना सही हैं तो तुमको ही देदुगी वरना दूसरे जरूरी मांद पर खर्च करुगी, वो कहती हैं के अब्दुल्ला इब्ने मसूद रज़ी अल्लाहु अन्हा ने मुझसे कहा, तुम खुद ही जाकर हुजूर ﷺ से दरियाफ्त करो।

मैं खुद गई वहा पहुची तो देखा अंसार माई से एक औरत आपके दरवाजे पर खड़ी और उसकी गरज भी वही है जो मेरी गरज है, वो भी यहीं मसला मालूम करने के लिए हाजिर हुई थी।

और रसूलुल्लाह ﷺ ने एक खास बैत दी थी जिसकी वजह से हर एक को आपसे रूबरू बात करने की जुर्रत नहीं होती थी इसलिए हमें खुद आपके करीब पहुचंकर पूछने की हिम्मत नहीं हुई। इतने में आपके खास खादिम और मोअज़्ज़िन हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हा बहार निकले हम दोनों ने उनसे कहा कि आप रसूल अल्लाह ﷺ की खिदमत मुख्य अर्ज़ कीजिए  के दो औरतें दरवाज़े पर खड़ी हैं और आप से ये पूछना चाहती हैं के अगर वो अपने ज़रुरतमंद शोहरो और यतीमो पर जो खुद उनकी गोद में परवरिश पाईं हैं सदका करे तो क्या सदका अदा हो जाएगा? और हमको इस सदके का सवाब मिलेगा? और उनको ये ना बताना कि हम कौन दो औरतें हैं।

हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हा आप ﷺ की खिदमत मुख्य हाज़िर हुए और उन दोनों महिलाओं का सवाल आपकी खिदमत मुख्य अर्ज़ किया। आप ﷺ ने पूछा वो कौन औरत हैं? हज़रत बिलाल रज़ी अल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया एक औरत तो अंसार मुख्य से हैं और दूसरी ज़ैनब हैं। आपने पूछा कौन सी जैनब?

हज़रत बिलाल रज़ी अल्लाहु अन्हा ने अर्ज़ किया अबुदुल्लाह बिन मसूद रज़ी अल्लाहु अन्हा की बीवी ज़ैनब। आप ने फरमाया, "हां!" उनके सदके अदा हो जायेंगे बाल्की इस सूरत यज्ञ में उनको दोहरा सवाब मिलेगा एक तो सदके का और दूसरा सिला रहमी का सवाब।

साहिह अल बुखारी, किताब अज़ ज़कात (२४), हदीस-१४६६।

अल्लाह से दुआ है कि वो हमें ज्यादा से ज्यादा सदका अदा करने की तौफीक अता फरमाये। आमीन.