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जुनबी हालात में ज़िक्र ओ अज़कार करना


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अल्हम्दुलिल्लाह..

अगर कोई शख़्स हालात ए जनाबत (सेक्स के बाद अशुद्धता) में हो तो उसके लिए अल्लाह का जिक्र करना और अल्लाह से दुआ करना जरूरी है, चाहे सोने की दुआ हो, या कोई अज़कार हो तो वह भी कर सकता है।

इस की दलील आयशा र.अ. की दर्ज़ ए ज़ैल हदीस है:

۩ उम्मुल मोमिनीन आयशा र.अ. बयान करती हैं,

“रसूल ﷺ हर हालात में अल्लाह ताला का ज़िक्र किया करते थे।”

सही मुस्लिम, किताब अल हैज़ ﴾ ३ ﴿, हदीस- ८२६.

बाज़ शरहीन हदीस इस की शरह करते हुए कहते हैं:

हदीस असल के लिए मुकर्रर है, वो ये के हर हालत में अल्लाह ताला का जिक्र किया जाए, चाहे बे-वुजू हो या फिर जुनबी हालात में हो अल्लाह का जिक्र, सुभानअल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अकबर, अलहम्दुलिल्लाह वगैरा दूसरे जायज़ अज़कार और दुआ पढ़ी जा सकती है, मुसलमानों का इस पर इज्मा है।

लेकिन जुनबी हालात में जो अज़कार हराम है वो कुरान मजीद की तिलावत है, के कोई एक आयत कुरान मजीद से देख कर या जुबानी पढ़ना जायज नहीं, क्योंकि रसूल ﷺ से ऐसा करने की मुमानियत साबित है।

लेकिन जुनबी शख़्स के लिए मुस्तहब ये है कि वो जब सोना चाहे तो अपनी शरमगाह ढो कर वुज़ू करे।

इस की दलील दर्ज़ ज़ैल (आला दी हुई) हदीस है:

۩ अब्दुल्ला बिन उमर र.अ. बयां करते हैं के उमर आर.ए. ने रसूल ﷺ से अर्ज़ किया, 'ऐ अल्लाह ताला के रसूल क्या हम में से कोई शख़्स जनाब की हालत में सो जाए?'

तोह रसूल ﷺ ने जवाब दिया, 'जी हां!' जब वो वुज़ू करले।'

सहीह अल बुखारी, किताब अल ग़ुस्ल ﴾ ५ ﴿, हदीस- २९०.

देखे: इब्न उथैमीन द्वारा अल-शरह अल-मुमती, १/२८८; अल-बस्साम द्वारा तौदीह अहकाम, १/२५०; फतावा इस्लामिया, १/२३२.

अल्लाह से दुआ है कि वो हमें सीरत ए मुस्तकीम अता करे। आमीन.

स्रोत: islamqa.info