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कीड़ो को बिजली का झटका देकर मारने का हुक्म


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अल्हम्दुलिल्लाह..

हमारे मुआशरे में ये गलत फहमी है कि बिजली का झटका देकर कीड़ों को मारना मना है क्योंकि ये मशीन जलाने का काम करती है जिसे रसूलअल्लाह ﷺ ने मना फरमाया है। आइए देखते हैं इसकी हकीकत क्या है।

शरीयत में आग से जला कर किसी चीज़ को मारना मना है, जैसे कि अबू हुरैरा र.अ. रसूल अल्लाह ﷺ का फरमान है कि रिवायत है: "बेशक आग का अज़ाब सिर्फ अल्लाह ताला ही दे सकता है।"

साहिह अल बुखारी, हदीस-३०१६।

इसी तरह आप ﷺ ने चूंटियों (चींटियों) की एक आबादी देखी जिसे कुछ सहाबा ने आग से जला दिया था तो आप ने फरमाया: "बे-शक ये बात बिल्कुल भी मुनासिब नहीं है के आग के परवर-दिगार के अलावा कोई और भी आग का अज़ाब दे।”

इसे अबू दाऊद (२६७५) द्वारा रिवायत किया गया है, जिसे इमाम नवावी ने रियाद अस-सालेहीन (५१९) में सहीह के रूप में वर्गीकृत किया है।

लेकिन वो मशीनें जो कीड़ों (कीड़ों) को बिजली का झटका देकर मारने का काम करती हैं, उनका उपयोग करने में कोई हर्ज नहीं है। और इसे ये ताबीर करना कि इसे इस्तमाल करके कीड़ा आग से जल कर मारता है तो ये सही नहीं है क्योंकि बिजली का झटका आग नहीं होता और क्योंकि बिजली के झटको के ज़रे किसी भी चीज़ की ख़ल्यात (कोशिकाएं) इंतेहाई बुरी तरह टूट-फूट का शिकार हो जाती है और फौरी तौर पर खून की रागिन मोटी जाती है, और अगर करंट ज्यादा क्वात में हो तो इस वजह से मकतूल ​​के जिस्म का रंग तबदील हो जाता है और बस औकात कोयला बन जाता है और ऐसा लगता है के जैसे आग से जल गया है लेकिन हकीकत में वो करंट होता है आग नहीं।

शेख इब्न उसैमीन से इस मुतल्लिक सवाल किया गया जिसका जवाब में वो फरमाते हैं:

"हम ये समझते हैं कि इस में कोई हर्ज नहीं है और ये आग के ज़रीए अज़ाब देने के ज़माने में शामिल नहीं होता क्योंकि हम ये बात मालूम हुई है के इस के ज़रीए हश्रत करंट लगने से मरता है, इस की दलील ये है के अगर एपी कागज (पेपर) का टुकड़ा ला कर इस पर रख दे तो ये कागज के टुकड़े को नहीं जलता, जिस से मालूम होता है के ये आग नहीं है, बाल्के करंट है, जैसे के अगर कोई इंसान नंगी तार को हाथ लगा दे तो जले बैगैर मर जाता है।” अंत उद्धरण.

लिकाआत अल-बाब इल-मफ़तूह (नंबर ५९/सवाल नंबर १२)।

और अल्लाह सब से बेहतर जानता है।