اقرأ باسم ربك الذي خلق

इस्लाम में इन्साफ है


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अल्लाह ﷻ फरमाते है,

“.. जब कोई बात कहो तो इन्साफ से काम लो, चाहे मुआमला अपनी करीबी रिश्ते में ही का हो।”

सूरन अनाम, आयत-१५२. 

दुसरी जगह अल्लाह ﷻ फरमाते है,

“ऐ ईमान वालो! अदल-ओ-इंसाफ पर मजबूती से जाम जाने वाले और खुशनुदी-ए-मौला के लिए सच्ची गवाही देने वाले बन जाओ गोह वो खुद तुम्हारे अपने खिलाफ हो या अपने मां-बाप के या रिश्तेदार के। वो शक्स चाहे अमीर हो या गरीब हो, दोनों के साथ अल्लाह को ज्यादा तल्लुक है। क्या तुम ख्वाहिश-ए-नफ्स की जोड़ी मत करो कि हक से हट जाओ, और अगर तुम बातें बनाओगे या मुंह फेर लोगे तो जो कुछ तुम कर रहे हो अल्लाह उसे बा-खबर है।

सूरह निसा, आयत-१३५.

अल्लाह ﷻ एक और जगह फरमाते है,

“ऐ ईमान वालो! अल्लाह की रज़ा के लिए अदल वा इन्साफ के साथ दत कर गवाही देने वाला बनो। और लोगों की नफ़रत, तुम्हें इस बात पर ना उबरे के तुम अदल व इन्साफ के साथ काम ना लो। इन्साफ करो यही बात तकवे के ज्यादा करीब है और अल्लाह से डरते रहो, बेशक अल्लाह तुम्हारे अमाल की पूरी खबर रखता है।”

सूरह माएदा, आयत-८.

आयशा र.अ. रिवायत करती है के मखज़ुमी खातून जिन्होन (गज़वाह फतह के मौका पर) चोरी कर ली थी, इस के मुआमले ने कुरैश को फ़िक्र में डाल दिया। उनको ने आपस में मशवरा किया के इस मुआमले पर आ हज़रत ﷺ से गुफ्तगु कौन करे! आख़िर ये तय हुआ के उसामा बिन ज़ैद र.अ. आप ﷺ को बहुत अज़ीज़ हैं. उनके सिवा और कोई इस की हिम्मत नहीं कर सकता। चुनान्चे उसामा र.अ ने आ हज़रत ﷺ से इस बारे में कहा कि आप ﷺ ने फरमाया, “ऐ उसामा! क्या तुम अल्लाह की हुदूद में एक हद तक मुझसे सिफ़ारिश करते हो?”

फिर आप ﷺ खड़े हुए और खुतबा दिया (जिसमे) आप ने फरमाया: "पिछली बहुत सी उम्मते इस लिए हलाक हो गई के जब उनका कोई आला आदमी चोरी करता तो उसे छोड़ देता और अगर कोई गरीब चोरी करता तो हम पर अल्लाह की" सज़ा डाल देते और अल्लाह की क़सम! अगर मुहम्मद की बेटी फातिमा (रसूलअल्लाह की बेटी) भी चोरी करे तो मेरा भी हाथ काट डालू।”

साहिह अल बुखारी, पैगंबरों की किताब (६०), हदीस - ३४७५।