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सहाबा का रसूलअल्लाह ﷺ से मुहब्बत का मन्ज़र


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रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के सहाबी, उरवा बिन मसउद रज़िअल्लाहु तआला अन्ह बयान करते है यह वाक़िया है सुलह हुदैबिया के मौक़े का इस मौक़े पर उरवा रज़िअल्लाहु तआला अन्हं मुसलमान नहीं हुए थे, वह बाद में मुसलमान हुए थे। उरवा रज़िअल्लाहु तआला अन्हं काफिरों की तरफ से एजेन्ट बन कर आये थे आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के पास उनसे मुआइदा करने के लिए फिर जो मन्ज़र उन्होंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के सहाबा के दर्मियान देखा वह यह था,

उरवा बिन मसउद रज़िअल्लाहु तआला अन्हं उस मन्ज़र में,

“उरवा रज़िअल्लाहु तआला अन्हं घूर-घूर कर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के असहाब रज़िअल्लाहु तआला अन्हं की नक़ल और हरकात देखते रहे। फिर रावी ने बयान किया कि कसम अल्लाह की अगर कभी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने बलगम भी थूका तो रसूल अल्लाह के असहाब ने अपने हाथों पर उसे ले लिया और इसे अपने चेहरे और बदन पर मल लिया, किसी काम का अगर रसूल अल्लाह ने हुक्म दिया तो उसकी बजावरी में एक दुसरे पर लोग सबक़त ले जाने की कोशिश करते। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम वुज़ु करने लगे तो एैसा मालूम हुआ कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के वुज़ु के पानी पर लड़ाई हो जायेगी (यानी हर शख्स उस पानी को लेने की कोशिश करता था)। जब रसूल अल्लाह गुफ्तग़ु करने लगते थे तो सब पर ख़ामोशी छा जाती। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की ताज़ीम का यह हाल था कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के साथी नज़र भर कर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को देख भी नहीं सकते थे।” फिर जब उरवा रज़िअल्लाहु तआला अन्हं अपने साथियों से जाकर मिले तो उन से कहा, ऐ लोगो! कसम अल्लाह की , मैं (बड़े-बड़े) बादशाहों के दरबार में भी वफद लेकर गया हुं कैसर ओ किसरा और नजाशी सब के दरबार में, लेकिन अल्लाह की कसम मैंने कभी नहीं देखा कि किसी बादशाह के साथी उसकी इस दर्जा ताज़ीम करते हो जितनी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के असहाब रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की करते है, अल्लाह की कसम अगर रसूल अल्लाह बलगम भी थूक दिया तो उनके अस्हाब ने उसे अपने हाथों में ले लिया औ उसे अपने चेहरे और बदन पर मल लिया, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने उन्हें अगर कोई हुक्म दिया तो हर शख्स ने उसे बजा लाने की कोशिश की, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने अगर वुज़ु किया तो एैसा मालुम होता कि रसूल अल्लाह के बचे हुए वुज़ु के पानी पर लड़ाई हो जायेगी कि कौन उस पानी को हासिल कर ले। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने जब गुफ्तग़ु शुरू की तो हर तरफ ख़ामोशी छा जाती। इनके दिलों में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की ताज़ीम का यह आलम था कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को उनकी इज़्ज़त के वजह से नज़र भर कर भी नहीं देख सकते थे।

(सहीह अल-बुखारी, हदीस 2731,2732)
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अल्लाह से दुआ है कि वह हमें सहाबा के नक्शे कदम पर चलाये। आमीन।