اقرأ باسم ربك الذي خلق

इस उम्मत के गरीब


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अल्लाह तआला फरमाते है,

हर जान को मौत का मज़ा चखना है और क़यामत के दिन तुम अपाने बदले पूरे-पूरे दिए जावगे, पस जो शख्स आग से हटा दिया जाए और जन्नत में दाखिल कर दिया जाए, बेशक वह कामयाब हो गया और दुनिया की ज़िन्दगी तो सिर्फ धोखे का सौदा है।

सुरह आले इमरान (3), आयत 185.

आखिर कार जब वह कान बहरे कर देने वाली आवाज़ बुलन्द होगी। उस दिन आदमी अपने भाई से और अपनी मां और अपने बाप से। और अपनी बीवी और अपनी औलाद से भागेगा। उनमें से हर शख्स पर उस दिन ऐसा वक्त आ पड़ेगा कि उसे अपने सिवा किसी का होश ना होगा।

सुरह अबस (80), आयत 34-37.

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें इस उम्मत के गरीब या दिवालिया (bankrupt) की सिफात बताई है,

۩ अबु हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “तुम्हें मालुम है गरीब कौन है?” सहाबा रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम ने अर्ज़ किया, हम तो गरीब उसकको समझते है जिसके पास रूपया-पैसा और साज़ ओ सामान ना हो।
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “मेरी उम्मत में गरीब वह शख्स होगा जो क़यामत के दिन नमाज़, रोज़ा और ज़कात के साथ आएगा मगर उसने किसी के गाली दी होगी, किसी पर झुटा-इल्ज़ाम लगाया होगा, किसी का माल हड़प किया होगा, किसी का खून बहाया होगा, किसी के मारा होगा, चुनांचे उसने जिन-जिन लोगों की हक़ तलफी की होगी उन्हें उसकी नेकिया दे दी जाएगी। और अगर उसके नेकियां कम पड़ जाए तो फिर इन लोगों के गुनाह ला कर उसपर लाद दिया जाएगा। और उसे दोज़ख में फेंक दिया जाएगा।”

सहीह मुस्लिम, (45) हदीस- 6579.

इसी लिए रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें एक फायदेमंद और खुबसूरत नसीहत की है:

۩ अबु हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “अगर किसी शख्स का जुल्म किसी दुसरे की इज़्ज़त पर हो या किसी तरीके (से ज़ुल्म किया हो) तो आज ही, उस दिन के आने से पहले माफ करा लो, जिस दिन ना (तो) दीनार होंगे, ना दिरहम, बल्कि अगर उसका कोई नेक अमल होगा तो उसके ज़ुल्म के बदले में ले लिया जाएगा और अगर कोई नेक अमल उसके पास नहीं होगा तो उस (मज़लुम) के बुराईयां उसपर डाल दी जाएगी।”

सहीह अल बुखारी, (46) हदीस, 2449.

इसी मौज़ु से मुताअल्लिक, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़यामत के दिन आने वाले एक दुसरे शख्स का ज़िक्र किया है।

۩ सौबान रज़िअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “मैं अपनी उम्मत में से ऐसे लोगों को जानता हूं जो क़यामत के दिन तिहामाह के पहाड़ों के बराबर नेकिया लेकर आएगें अल्लाह तआला इन (नेकियों) को फिज़ा में उड़ते हुए ज़र्रे की तरह बना देगा।

सौबान रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने अर्ज़ किया, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! उन लोगों का हाल हमसे बयान फरमाये और खोल कर बयान फरमाये ताकि ला-इल्मी और जहालत की वजह से हम उनमें से ना हो जाए।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “जान लो वह तुम्हारे भाईयों में से ही है, और तुम्हारी क़ौम में से ही, वह भी रातों को इसी तरह ईबादत करेगें, जैसे तुम ईबादत करते हो, लेकिन वह ऐसे लोग है कि जब तन्हाई में होंगे तो हराम कामों को इर्तकाब करेंगे।”

सुनन इब्न माजा, (37), हदीस 4245.

۩ इब्ने हजर अल-हैसमी इस हदीस के ताअल्लुक से फरमाते है, “ऊपरी तौर पर नेक होने का दिखावा करना और अल्लाह के मुकद्दस हुदुद को तोड़ना, अकेले में गुनाह ए सग़ीरा (छोटा गुनाह) करने को कुछ बड़ा समझा जाता है, (और फिर इन्होंने एक हदीस को दलील बना कर कहा है) एक शख्स जिसको नेक बनने का दिखावा करने की आदत हो और अनी बुरी चीज़ों को छुपाने की, यह मुसलमानों को ज़्यादा नुकसान और गुमराह करती है, क्योंकि उसके पास ना नेकी है और ना ही अल्लाह का ख़ौफ।”

अल-ज़वाजिर (3/49)

और इसी तरह रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें एक तीसरे क़िस्म के लोगों का अमल बताया है जो आखिरत में बरबाद हो जायेगा:

۩ नातिल ने अबु हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से कहा, ऐ शैख! मुझे ऐसी हदीस सुनायें जो आपने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुनी हो।

अबु हुरैरा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने कहा: हां, मैंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते हुए सुना: “क़यामत के रोज़ सबसे पहला शख्स जिसके खिलाफ फैसला आएगा, वह होगा जिसे शहीद कर दिया गया। उसे पेश किया जाएगा। अल्लाह तआला उसे अपनी (अता करदा) नेअमत की पहचान कराएगा तो वह उसे पहचान लेगा। वह (अल्लाह) पूछेंगे तुमने इस नेअमत के साथ क्या किया?

वह कहेगा: मैंने आपकी राह में लड़ाई की हत्ता कि मुझे शहीद कर दिया गया।

(अल्लाह तआला) फरमायेगा, तुमने झूट बोला। तुम इसलिए लड़े थे कि कहा जाए: यह (शख्स) बहादुर सिपाही है। और यही कहा गया, फिर इसके बारे में हुक्म दिया जाएगा तो इस आदमी को मुंह के बल घसीटा जाएगा यहां तक कि आग में डाल दिया जाएगा।

फिर वह आदमी जिसने इल्म पढ़ा, पढ़ाया और कुरआन की क़िराअत की, उसे पेश किया जाएगा। (अल्लाह तआला) उसे अपनी नेअमतों की पहचान कराऐंगे, वह पहचान कर लेगा, (अल्लाह) फरमाऐंगे: तुमने उन नेअमतों के साथ क्या किया? वह कहेगा: मैंने इल्म पढ़ा और पढ़ाया और तेरी खातिर कुरआन की क़िराअत की, (अल्लाह) फरमाऐंगे: तुमने झूट बोला, तुमने इसलिए इल्म पढ़ा कि कहा जाए (यह) आलीम है और तुमने कुरआन इसलिए पढ़ा कि कहा जाए: यह क़ारी है, (और) वह कहा गया, फिर इसके बारे में हुक्म दिया जाएगा, उसे मुंह के बल घसीटा जाएगा हत्ता कि आग में डाल दिया जाएगा।

फिर वह आदमी जिसपर अल्लाह ने वुसअत की और हर क़िस्म का माल अता किया, उसे लाया जाएगा। अल्लाह तआला उसे अपनी नेअमतों की पहचान कराऐंगे, वह पहचान लेगा। अल्लाह फरमाऐंगे: तुमने उनमें क्या किया? (वह) कहेगा: मैंने कोई राह नहीं छोड़ी जिस (राह) में आपको पसंद है कि माल खर्च किया जाए मगर हर ऐसी राह में खर्च किया। अल्लाह फरमाऐंगे: तुमने झुट बोला है, तुमने (यह सब) इसलिए किया ताकि कहा जाए, वह सखी है, (और) ऐसा ही कहा गया, फिर इसके बारे में हुक्म दिया जाएगा, तो इसे मुंह के बल घसीटा जाएगा, फिर आग में डाल दिया जाएगा।

सहीह मुस्लिम, (33), हदीस 4923.

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अल्‍लाहुम्‍मा अजिरनी मिनन्‍नार. आमीन.