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जहन्नम में औरतों की अक्सरियत क्यों?


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अलहमदुलिल्लाह ..

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से यह साबित है कि जहन्नम में औरतों की अक्सरियत है।

۩ इमरान बिन हुसैन रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “मैंने जन्नत में झांका तो उसमें अक्सर लोग फुक़रा (ग़रीब) थे और मैंने जहन्नम में झांका तो उसमें अक्सर औरतें थी।”

सहीह अल बुखारी, किताब बदी अल अख्लाक़, (59), हदीस 3241.

۩ और इस सबब के मुताल्लिक नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा गया तो आपने वह भी बयान फरमाया हे। अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा बयान करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फमरया: “मुझे आग दिखाई गई तो मैंने आज जैसा खौफनाक मन्ज़र कीभी नहीं देखा और मैंने जहन्नम में अक्सरियत औरतों को ही देखा है।

तो सहाबा कहने लगे, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वह क्यो? तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: अपने कुफ्र की वजह से, तो आपसे यह पूछा गया कि क्या वह अल्लाह तआला के साथ कुफ्र करती है? तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, खाविन्द और अहसान (good treatment) की नाशुकरी करती है, अगर आप उनमें से किसी के साथ ज़िन्दगी भर अहसान करते रहो तो फिर वह आपसे कोई खिलाफ ए मिजाज़ चीज़ देख ले तो यह कहती है कि मैंने सारी ज़िन्दगी तुमसे कोई खैर नहीं पायी।”

सहीह अल बुखारी, किताब अल कुशुफ (16), हदीस 1052.

۩ अबु सईद खुद्री रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ईद उल अज़हा या ईद अल फित्र के लिए ईदगाह की तरफ निकले तो औरतों के पास से गुज़रे, तो फरमाने लगे: “ऐ औरतों की जमाअत सदक़ा ओ खैरात किया करों बेशक मुझे दिखाया गया है कि तुम्हारी जहन्नम में अक्सरियत है। तो वह कहने लगी ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वह क्यो? तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, तुम लाअनत बहुत करती हो और खाविन्द की नाफरमानी करती हो। मैंने दीन और अक्ल में नाक़िस तुमसे ज़्यादा कोई नहीं देखा। तुममें से कोई एक अच्छे भले शख्स की अक्ल खराब कर सकती हो। वह (औरतें) कहने लगी, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तो हमारे दीन और हमारी अक्ल में नुक्स क्या है? नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: क्यो औरत की गवाही मर्द की गवाही के निस्फ (आधी) नहीं? तो वह कहने लगी, क्यों नहीं! तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तो यह उसकी अक्ल की कमी है। और क्या जब किसी को हैज़ आये तो वह नमाज़ और रोज़ा नहीं छोड़ती? तो वह कहने लगी, जी हां! तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, यह उसके दीन का नुकसान है।”

सहीह अल बुखारी, किताब अल हैज़ (6), हदीस 304.

۩ जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है कि मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ ईद के दिन नमाज़ में हाज़िर था तो आपने खुत्बा से पहले बग़ैर अज़ान और इक़ामत के नमाज़ पढ़ाई, फिर नमाज़ के बाद बिलाल रज़िअल्लाहु तआला अन्हु पर टेक लगा कर खड़े हुए और अल्लाह तआला का तक़वा इख्तियार करने का हुक्म दिया और उसकी इताअत करने पर उभारा और लोगों को वाज़ ओ नसीहत की फिर औरतों के पास आये और उन्हें वाज़ ओ नसीहत की और कहने लगे: ऐ औरतों? सदक़ा ओ खैरात किया करों क्योंकि तुम्हारी अक्सरियत जहन्नम का ईंधन है तो औरतों के दम्रियान से एक सियाह धब्बे की रूखसारों (dark spot on cheeks) वाली औरत उठ कर कहने लगी, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वह क्यों? तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: इसलिए कि तुम शिक़वा और शिक़ायत बहुत ज़्यादा करती हो और खाविन्द की नाफरमानी और ना-शुक्रि करती हो।

जाबिर रज़िअल्लाहु तआला अन्हु बयान करते है कि फिर वह लोग अपने ज़ेवरात मे से सदक़ा के लिए अपनी अंगुठिया और बालियां बिलाल रज़िअल्लाहु तआला अन्हु के कपड़े में डालने लगी।

सहीह मुस्लिम, किताब अल सलात अल ईदैन (8), हदीस 2048.

इसलिए उन मुसलमान बहनों पर जो इस हदीस को जानती है ज़रूरी है कि उनके मुआमलात भी सहाबियात की तहर हों कि जब उनको इसका इल्म हुआ तो उन्होंने खैर और भलाई की, जो कि अल्लाह तआला के हुक्म से उन्हें उस अक्सरियत से दूर ले जाएगी और वह जहन्नम में दाखिल होने से बच जाएगी।

तो बहनों को हमारी यह नसीहत है कि वह इस्लाम के शिआर और फराईज़ पर अमल करें और ख़ास कर नमाज़ पढ़ें और उन चीज़ों से दूर रहे जो कि अल्लाह तआला ने हराम की है ख़ास कर शिर्क से जो कि औरतों के अन्दर मुख्तलिफ सुरतों में फैला हुआ है। और ग़लत कामों में मुलव्विस होने से बचना जैसे अल्लाह तआला के अलावा दुसरों से हाजत पूरी करवाना और जादुरगरों और नजुमियों के पास जाना, चुगल खोरी या ग़ीबत करना, या फिर ग़ैर महरम के हाथों से चुढ़ि पहनना, वग़ैराह।

व अल्लाहु आलम।

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हम अल्लाह से दुआ करते है कि वह हमें और हमारे सब बहन-भाईयों को आग से दूर करे और ऐसे क़ौल ओ अमल करने की तौफीक़ दे जो अल्लाह तआला के क़रीब करें।