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ज़ुल-हिज्जा की तक्बीर और इसका समय


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۞ तक्बीर की विधि

विद्वानों ने उसकी विधि के बारे में कई कथनों पर मतभेद किया है :

पहला :

" الله أكبر .. الله أكبر .. لا إله إلا الله ، الله أكبر .. الله أكبر .. ولله الحمد "

''अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . .वलिल्लाहिल हम्द''.

दूसरा :

" الله أكبر .. الله أكبر .. الله أكبر .. لا إله إلا الله ، الله أكبر .. الله أكبر .. الله أكبر .. ولله الحمد "

अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . वलिल्लाहिल हम्द''.

तीसरा :

" الله أكبر .. الله أكبر .. الله أكبر .. لا إله إلا الله ، الله أكبر .. الله أكبر .. ولله الحمد " .

अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . . ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अक्बर . . अल्लाहु अक्बर . .वलिल्लाहिल हम्द''.

इस बारे में मामले के अंदर विस्तार है क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कोई नस (स्पष्ट प्रमाण) मौजूद नहीं है जो किसी निश्चित सूत्र को निर्धारित करता हो।

۞ तक्बीर का समय

तक्बीर के दो प्रकार हैं :

1- मुतलक़ (अप्रतिबंधित) : जो किसी चीज़ के साथ प्रतिबंधित नहीं होता है, अतः वह हमेशा, सुबह और शाम, नमाज़ से पहले और नमाज़ के बाद, और हर समय मसनून होता है।

2- मुक़ैयद (प्रतिबंधित) : जो फर्ज़ नमाज़ों के बाद के साथ प्रतिबंधित और सीमित होता है।

मुतलक़ (अप्रतिबंधित) तक्बीर ज़ुल-हिज्जा के दस दिनों में और तश्रीक़ के सभी दिनों में मसनून है। उसका आरंभ ज़ुल-हिज्जा के महीने के प्रवेश करने (अर्थात ज़ुल-क़ादा के महीने के अंतिम दिन के सूरज डूबने) से होकर तश्रीक़ के अंतिम दिन (अर्थात ज़ुल-हिज्जा के महीने के तेरहवें दिन के सूरज के डूबने) तक रहता है।

रही बात मुक़ैयद तक्बीर की, तो वह अरफा के दिन फज्र से शुरू होता है और तश्रीक़ के अंतिम दिन के सूरज डूबने तक रहता है - यही अप्रतिबंधित तक्बीर का भी अंतिम समय है -। जब वह फर्ज़ नमाज़ से सलाम फेरे और तीन बार अस्तगफिरूल्लाह कहे और यह दुआ पढ़े :

اللهم أنت السلام ومنك السلام تباركت يا ذا الجلال والإكرام.

''अल्लाहुम्मा अन्तस्सलामो व मिनकस्सलामो तबारकता या ज़ल-जलालि वल-इकराम''

और उसके बाद तकबीर शुरू कर दे।

यह हज्ज न करने वाले के लिए है, रही बात हज्ज करने वाले की तो उसके हक़ में मुक़ैयद (प्रतिबंधित) तक्बीर यौमुन्नहर के दिन ज़ुहर से शुरू होती है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

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स्रोत: Islamqa.info