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क्या शादी के बाद बीवी (पत्नी) अपने नाम के साथ पति का नाम लगा सकती है?


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अल्हम्दुलिल्लाह..

अबू ज़ार र.अ. रिवायत करते हैं कि नबी ﷺ ने फरमाया,

'जिस शक्स ने भी जान-बुझ कर अपने बाप के सिवा किसी और को अपना बाप बनाया तो उसने भी अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले। 

सहीह अल बुखारी, किताब अल मनाकिब (६१), हदीस-३५०८।

इस हदीस से कुछ लोगों ने ये फहम अख़ाज़ किया है कि बीवी अपने नाम के आगे शौहर का नाम नहीं लगा सकती। दर असल ये ग़लत है, हदीस में ऐसी किसी बात का ज़िक्र नहीं है।

अरब में लोग अपने बाप का नाम बदल कर अपने किसी और बाप की तरफ मंसूब किया करते हैं। इस लिए अल्लाह स. व. त ने हमें इस चीज़ से मना फरमाया। मिसाल के तौर पर आप ﷺ के गुलाम, ज़ैद इब्न हारिसा, उनको ज़ैब इब्न मुहम्मद कहा जाता था हलाँके मुहम्मद ﷺ उनके बाप नहीं थे। मज़ीद विवरण के लिए सूरह अहज़ाब पढ़ लें।

तोह दरसल इस चीज़ से मना फरमाया गया है क्योंकि इस्लाम सच्चाई को पसंद करता है। तो जो असल में किसी का वालिद नहीं है उसका कोई हक नहीं है कि वो उसके वालिद का मुकाम पाए।

۞ एक मिसाल:

अगर कोई औरत है, उसका नाम है आयशा बिन्ते खालिद यानी आयशा खालिद की बेटी। अब उसकी छाया एक मोमिन नामी लड़के से हो जाती है। और अब अगर अपना नाम आयशा मोमिन रख लेती है, तो इसने अपने बाप का नाम नहीं बदला है।

बाप का नाम तब बदल जाएगा जब वो लिखे 'आयशा बिन्ते मोमिन' यानी आयशा मोमिन की बेटी।

और हमसे अगर पूछा भी जाए कि आपके बाप का नाम क्या है तो वो खालिद ही कहेगी ना कि मोमिन।

۞ इस पर हमारे असलाफ़ ए दीन का फहम

हमारी एक माँ है जिनको कहा जात है उम्मे सलाम र.अ. ये आप ﷺ की बीवी है जो सब से आखिर में फ़ौत हुई थी। अब इनका नाम है उम्मे सलाम यानी सलाम की मां. अगर इस पर बुखारी की हदीस का गलत फहम लिया जाए तो इन्हें जब रसूलुल्लाह से बदला जाए तब इन्हें अपने बाप के अलावा किसी और की तरफ मंसूब नहीं करना चाहिए था।

लेकिन इन्होने खुद को अपने बाप की तरफ से मंसूब नहीं बनाया और इसके बजाये अपने औलाद की तरफ से खुद को मंसूब किया। तो बात वज़ह हुई कि हमारे असलफ ने भी इसका वही फ़हम समझा था जिसे हमने बयान किया है।

इसी तरह एक और सहबिया है जिसका नाम है उम्मे सुलैम। इन्होने ने भी खुद को अपने बेटे सुलेमान की तफ़फ़ मंसूब किया।

तो ये नाम बदलना वो नहीं है जिसे हदीस में मना लिया गया है। हदीस में इस से मन फरमाया गया है कि कोई आयशा बिन्ते खालिद अपने आपको आयशा बिन्ते मोमिन कहे। तो ये होगा बदलना वरना नहीं होगा।

और अल्लाह सबसे बेहतर जानता है।